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What Is Verb in Hindi | क्रिया क्या है?

Author: Amresh Mishra | 1 वर्ष पहले

What Is Verb : हिंदी व्याकरण जिसको पढना काफी कठिन लगता है। लेकिन एक बार समझने के बाद व्याकरण काफी सरल लगने लगती हैं। हिन्दी व्याकरण कि मुख्य शाखा क्रिया के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हम आपकों विस्तार से देगें।

आज के इस आर्टिकल से हम जानेंगे की क्रिया क्या है?, तो बता दें, क्रिया हिंदी व्याकरण का एक बहुत महत्वपूर्ण और जरूरी हिस्सा है। क्रिया शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है “काम”, अथार्त किसी वाक्य में कर्ता के द्वारा किया जाने वाला काम ही “क्रिया” होती है। क्रिया के बिना कोई अधूरा और पूरा नहीं होता है। किसी वाक्य में कर्ता, कर्म तथा काल की जानकारी भी क्रिया पद के माध्यम से ही होती है।

महत्वपूर्ण बात यह भी है, कि हिंदी भाषा की जननी कहा जाता है “संस्कृत” को और संस्कृत में क्रिया के रूप को “धातु” कहते हैं, और क्रिया की उत्पत्ति धातु शब्द से ही होती है और मूल धातु में जो शब्द होते हैं, उनमें “ना” प्रत्यय लगाने से क्रिया शब्द बनते है। क्रिया एक विकारी शब्द है, जिसका अर्थ किसी कार्य से या किसी भी प्रकार के काम से संबंधित होता है। आइए अब हम आपको What Is Verb, क्रिया की परिभाषा कि परीभाषा और उदाहरण के बारे में जानकारी दी है।

What Is Verb
What Is Verb

क्रिया की परिभाषा | Definition Of Verb

What Is Verb : जिन शब्दों से किसी कार्य के करने या होने का ज्ञान होता है, उन शब्दों को क्रिया कहा जाता हैं।

जैसे उदाहरण के रूप में :-

  • खेलना
  • आना
  • जाना
  • नहाना
  • चलना
  • कहना आदि।

धातु :-

  • हिंदी भाषा में क्रिया पदों का मुख्य रूप ही धातु है।
  • इसी प्रकार धातु में ‘ना’ जोड़ने से हिंदी के क्रिया पद बनते है।
  • क्रिया के रूप से ही हमें यह जानने को मिलता है, कि कार्य वर्तमान में हुआ है, भूतकाल में हो चुका है या फिर भविष्य काल में होना बाकी है।क्रिया को संज्ञा तथा विशेषण से भी बनाया जा सकता है।
  • क्रिया को सार्थक शब्दों के 8 पदों में से एक माना जाता है।

क्रिया के भेद

क्रिया के भेदों को अलग-अलग आधार पर तय किये गये हैं।
क्रिया के प्रकारों को पहचाने के लिए हमको सबसे पहले क्रिया के प्रकारों का वर्गीकरण करना जरूरी है।
क्रिया का वर्गीकरण तीन आधार पर किया जा सकता है:- कर्म के आधार पर, बनावट के आधार पर तथा काल के आधार पर।

हिन्दी भाषा में क्रिया के निम्न प्रकार हैं

  • कर्म के आधार पर।
  • संरचना के आधार पर।
  • काल के आधार पर।

कर्म के आधार पर

क्रिया शब्द का फल किस पर पड़ रहा है। वह किस से प्रभावित कर रहा है, इस आधार पर किया जाने वाला भेद कर्म के आधार क्रिया के भेद के अंतर्गत आता है। इस आधार पर क्रिया के प्रमुख दो भेद है।

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद है

  1. सकर्मक क्रिया
  2. अकर्मक क्रिया

सकर्मक क्रिया

स अर्थात सहित, अतः सकर्मक का अर्थ हैं- कर्म के साथ।

जिस क्रिया का फल कर्ता को छोड़कर कर्म पर पड़े, वह सकर्मक क्रिया कहलाती है।

उदाहरण स्वरूप

आयुष पढ़ाई कर रहा है।

अब यदि प्रश्न यह किया जाए, कि आयुष क्या कर रहा है? तो उसका उत्तर होगा- “पढ़ाई”
तो इस वाक्य में पढ़ाई “कर्म” है।
गीता सितार बजा रही है।

इस वाक्य में गीता क्या बजा रही है?, तो इसका उत्तर होगा “सितार”
तो इस वाक्य में सितार “कर्म” हो गया।

सकर्मक क्रिया के भी 2 भेद होते हैं:-

एक कर्मक
द्विकर्मक क्रिया।

एक कर्मक

जिस वाक्य में क्रिया के साथ एक कर्म प्रयुक्त होता है, उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे-

‘वैशाली पढ़ रही है।’ यहां वैशाली के द्वारा एक ही कर्म (पढना) हो रहा है।

द्विकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त हो उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे-
अध्यापक, छात्रों को कंप्यूटर सिखा रहे हैं। क्या सिखा रहे हैं? कंप्यूटर। किससे कह रहे हैं? – छात्रों को (छात्र सीख रहे) इस प्रकार दो कर्म एक साथ घटित हो रहे है।

जैसे-
आयुष सक्षम को साइकिल सिखाता है।
ज्योति किरण को खाना बनाना सिखाती है।

2. अकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में क्रिया का प्रभाव या फल केवल कर्ता पर ही पड़ता है, कर्म की वहाँ संभावना बिलकुल नहीं रहती है। उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं,

जैसे-
मोनिका सोती है।
राधिका गाती है।
बच्चा रोता है।
घोड़ा हिनहिनाता आता है।
भावना हंसती है।
खुशबू पढ़ती है, आदि।

संरचना के आधार पर

किसी वाक्य में क्रिया का प्रयोग कहां किया जा रहा है, किस रूप में किया जा रहा है इस आधार पर किए जाने वाले भेद संरचना के आधार पर कहलाते हैं।
इसके पांच प्रकार है।

(1) संयुक्त क्रिया
(2) नामधातु क्रिया
(3) प्रेरणार्थक क्रिया
(4) पूर्वकालिन क्रिया
(5) कृदंत क्रिया

(1) संयुक्त क्रिया-

जब दो या दो से अधिक भिन्न अर्थ रखने वाले क्रियाओं का मेल हो जाता है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।

उदाहरण

अथिति आने पर स्वागत करो। इस वाक्य में “आने” मुख्य क्रिया है, तथा ‘स्वागत करो’ सहायक क्रिया है इस प्रकार मुख्य एवं सहायक क्रिया दोनों का संयोजकयोग है अतः इसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।

मुख्य क्रिया के साथ सहायक क्रियाएं एक से अधिक भी हो सकती है।

(2) नामधातु क्रिया-

संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्द क्रिया धातु की तरह प्रयुक्त होते हैं, उन्हें नामधातु क्रिया करते हैं और इन नामधातु शब्दों में जब प्रत्यय लगाकर क्रिया का निर्माण किया जाता है तो वह शब्द “नाम धातु क्रिया” कहलाते हैं।

उदाहरण

हाथ (संज्ञा) – हथिया (नामधातु) – हथियाना (क्रिया)

जैसे- अर्जुन ने प्रवीण का कमरा हथिया लिया।

अपना (सर्वनाम) – अपना (नामधातु) – अपनाना (क्रिया)

जैसे- विशाल विनीता के शादी की जिम्मेदारी को अपना चुका है।

(3) प्रेरणार्थक क्रिया-

जब करता स्वयं कार्य का संपादन न कर किसी दूसरे को करने के लिए प्रेरित करता है या किसी और से करवाता है उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।

जैसे-

सरपंच ने गांव में तालाब बनवाया।

इसमें सरपंच ने स्वयं कार्य नहीं किया, बल्कि दूसरे लोगों को प्रेरित कर उसने तालाब का निर्माण करवाया है।अतः इस वाक्य में यह प्रेरणादायक क्रिया है।

(4) पूर्वकालिक क्रिया

जब किसी वाक्य में दो क्रियाएं प्रयुक्त हुई हो तथा उनमें से एक क्रिया दूसरी क्रिया से पहले संपन्न हुई हो तो पहले संपन्न होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।

इन क्रियाओं पर लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह अव्यय तथा क्रिया विशेषण के रूप भी में प्रयुक्त होती है।

मूल धातु में “कर” लगाने से सामान्य क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया का रूप दिया जा सकता है।
जैसे-
विक्रम खेलकर पढ़ने बैठेगा।
वह पढ़कर सो गया।

इस वाक्यों में ‘खेलकर’ एवं ‘पढ़कर’ पूर्वकालिक क्रिया कहलाएगी।

पूर्वकालिक क्रिया का एक रूप “तात्कालिक क्रिया” भी है, इसमें एक क्रिया के समाप्त होते ही तत्काल दूसरी क्रिया घटित होती है तथा धातु + ते से क्रिया पद का निर्माण होता है।
जैसे

पुलिस के आते ही चोर भाग गया।
इसमें ‘आते ही’ तात्कालिक क्रिया है।

(5) कृदंत क्रिया

क्रिया शब्दों में जुड़ने वाले प्रत्यय ‘कृत’ प्रत्यय कहलाते हैं ।तथा कृत प्रत्ययों के योग से बने शब्द कृदंत कहलाते हैं ।क्रिया शब्दों के अंत में प्रत्यय योग से बनी क्रिया कृदंत क्रिया कहलाती है।
जैसे-

क्रिया कृदंत क्रिया
चल- चलना, चलता, चलकर
लिख- लिखना, लिखता, लिखकर।

काल के आधार पर

जिस काल में क्रिया संपन्न होती हैं, उसके अनुसार क्रिया के तीन भेद होते हैं।

(1) भुतकालिक क्रिया
(2) वर्तमानकालिक क्रिया
(3) भविष्यकालिक क्रिया।

(1) भुतकालिक क्रिया-

क्रिया का वह रुप जिससे बीते समय में कार्य संपन्न होने का बोध होता हैं, वह भुतकालिक क्रिया कहलाती हैं।
जैसे-

सुमन ने बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया।
अशोक अमेरिका चला गया आदि।

(2) वर्तमानकालिक क्रिया-

क्रिया का वह रुप जिससे वर्तमान काल में कार्य संपन्न होने का बोध हो, वह वर्तमानकालिक क्रिया कहलाती हैं।
जैसे-
दिव्या गाने सुन रही हैं।
उर्मिला पुस्तक पढ़ रही है।

(3) भविष्यकालिक क्रिया-

क्रिया का वह रुप जिससे आने वाले काल में कार्य संपन्न होने का बोध होता है, वह भविष्यकालिक क्रिया कहलाती हैं।
जैसे-
प्रद्युम्न छुट्टियों में ननिहाल जायेगा।
प्रतिभा निबंध प्रतियोगिता में भाग लेगी।

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FAQ

Verb को हिंदी में क्या कहते है?

Verb को हिंदी में क्रिया कहते है।

क्रिया किसे कहते है?

Verb/क्रिया वह शब्द जिससे यह पता चलता है की, कोई कार्य हो रहा है या किया जा रहा है याने क्रिया का अर्थ कोई कार्य को करना यह होता है।

Verb कैसे पहचाने?

यदि किसी वाक्य में एक ही क्रिया हो तो वह क्रिया main Verb कहलाती है और यदि वाक्य में दो या दो से अधिक Verb एक साथ प्रयुक्त हो तो सबसे अंत में आने वाला Verb main Verb कहलाता है।

निष्कर्ष

हिन्दी व्याकरण कि मुख्य शाखा क्रिया मानी जाती हैं और आज हमने इस आर्टिकल मे What Is Verb, भाववाचक क्रिया के बारे मे जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करते हैं आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा, इसी तरह बाकी विषयों पर आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहे। आर्टिकल संबंधित कोई शिकायत हो अथवा आप भी हमारे लिए आर्टिकल लिखना चाहते हैं, तो हमारे कमेंट सेक्शन में कमेंट करके हमसे संपर्क करें।

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Author: Amresh Mishra

I am Amresh Mishra, owner of My Technical Hindi Website. I am a B.Sc graduate degree holder and 21yrs old young entrepreneur from the City of Patna. By profession, I'm a web designer, computer teacher, google webmaster and SEO optimizer. I have deep knowledge of Google AdSense and I am interested in Blogging.

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